{"title":"印度在太平洋地区的战略战略:在四方会谈的特殊背景下","authors":"डॉ दीपक कुमार दिनकर","doi":"10.33545/26648679.2023.v5.i2a.54","DOIUrl":null,"url":null,"abstract":"हिंद महासागर और प्रशांत महासागर क्षेत्र के कुछ भागों को अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीति के अध्ययन विषय में संयुक्त रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र इकीसवीं सदी में भू-राजनीतिक क्षेत्र में विश्व की विभिन्न शक्तियों के मध्य कूटनीति एवं संघर्ष का मुख्य केंद्र बन गया है। इसका कारण यह है की हिंद महासागर और प्रशांत महासागर समुद्री मार्ग प्रदान करता है। दुनिया का अधिकांश व्यापारिक गतिविधियाँ इन दोनों महासागरों के माध्यम से होता है। भारत-प्रशांत क्षेत्र दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले और आर्थिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है जिसमें चार महाद्वीप शामिल हैं: एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की गतिशीलता और जीवन शक्ति स्वयं स्पष्ट है, दुनिया की 60% आबादी और वैश्विक आर्थिक उत्पादन का 2/3 भाग इस क्षेत्र को वैश्विक आर्थिक केंद्र बनाता है। यह क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक बड़ा स्रोत और गंतव्य भी है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र दुनिया की कई महत्त्वपूर्ण एवं बड़ी आपूर्ति शृंखलाओं संबंधित है। भारतीय और प्रशांत महासागरों में संयुक्त रूप से समुद्री संसाधनों का विशाल भंडार है, जिसमें अपतटीय हाइड्रोकार्बन, मीथेन हाइड्रेट्स, समुद्री खनिज और पृथ्वी की दुर्लभ धातु शामिल हैं। बड़े समुद्र तट और अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) इन संसाधनों के दोहन के लिये तटीय देशों को प्रतिस्पर्द्धी क्षमता प्रदान करते हैं। दुनिया की कई सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थित हैं, जिनमें भारत, यू.एस.ए, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। क्वाड को ‘स्वतंत्र, खुले और समृद्ध’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिये चार देशों के साझा उद्देश्य के रूप में पहचाना जाता है। क्वाड भारत, अमेरिका, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया की संयुक्त रूप से अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता है। 13वीं ईस्ट एशिया समिट के दौरान ही क्वाड सम्मेलन का भी आयेाजन किया गया था। यह क्वाड सम्मेलन मुख्यत: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अवसंरचनात्मक परियोजनाओं एवं समुद्री सुरक्षा योजनाओं पर केंद्रित था। यद्यपि समूह का घोषित लक्ष्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र की समृद्धि व खुलेपन से संबंधित है, किंतु इसका मुख्य लक्ष्य बेल्ट रोड पहल के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी दबदबे को नियंत्रित करना है।","PeriodicalId":224306,"journal":{"name":"International Journal of Sociology and Humanities","volume":"228 1","pages":"0"},"PeriodicalIF":0.0000,"publicationDate":"2023-01-01","publicationTypes":"Journal Article","fieldsOfStudy":null,"isOpenAccess":false,"openAccessPdf":"","citationCount":"0","resultStr":"{\"title\":\"हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की सामरिक रणनीति : क्वाड के विशेष संदर्भ में\",\"authors\":\"डॉ दीपक कुमार दिनकर\",\"doi\":\"10.33545/26648679.2023.v5.i2a.54\",\"DOIUrl\":null,\"url\":null,\"abstract\":\"हिंद महासागर और प्रशांत महासागर क्षेत्र के कुछ भागों को अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीति के अध्ययन विषय में संयुक्त रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र इकीसवीं सदी में भू-राजनीतिक क्षेत्र में विश्व की विभिन्न शक्तियों के मध्य कूटनीति एवं संघर्ष का मुख्य केंद्र बन गया है। इसका कारण यह है की हिंद महासागर और प्रशांत महासागर समुद्री मार्ग प्रदान करता है। दुनिया का अधिकांश व्यापारिक गतिविधियाँ इन दोनों महासागरों के माध्यम से होता है। भारत-प्रशांत क्षेत्र दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले और आर्थिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है जिसमें चार महाद्वीप शामिल हैं: एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की गतिशीलता और जीवन शक्ति स्वयं स्पष्ट है, दुनिया की 60% आबादी और वैश्विक आर्थिक उत्पादन का 2/3 भाग इस क्षेत्र को वैश्विक आर्थिक केंद्र बनाता है। यह क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक बड़ा स्रोत और गंतव्य भी है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र दुनिया की कई महत्त्वपूर्ण एवं बड़ी आपूर्ति शृंखलाओं संबंधित है। भारतीय और प्रशांत महासागरों में संयुक्त रूप से समुद्री संसाधनों का विशाल भंडार है, जिसमें अपतटीय हाइड्रोकार्बन, मीथेन हाइड्रेट्स, समुद्री खनिज और पृथ्वी की दुर्लभ धातु शामिल हैं। बड़े समुद्र तट और अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) इन संसाधनों के दोहन के लिये तटीय देशों को प्रतिस्पर्द्धी क्षमता प्रदान करते हैं। दुनिया की कई सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थित हैं, जिनमें भारत, यू.एस.ए, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। क्वाड को ‘स्वतंत्र, खुले और समृद्ध’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिये चार देशों के साझा उद्देश्य के रूप में पहचाना जाता है। क्वाड भारत, अमेरिका, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया की संयुक्त रूप से अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता है। 13वीं ईस्ट एशिया समिट के दौरान ही क्वाड सम्मेलन का भी आयेाजन किया गया था। यह क्वाड सम्मेलन मुख्यत: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अवसंरचनात्मक परियोजनाओं एवं समुद्री सुरक्षा योजनाओं पर केंद्रित था। यद्यपि समूह का घोषित लक्ष्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र की समृद्धि व खुलेपन से संबंधित है, किंतु इसका मुख्य लक्ष्य बेल्ट रोड पहल के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी दबदबे को नियंत्रित करना है।\",\"PeriodicalId\":224306,\"journal\":{\"name\":\"International Journal of Sociology and Humanities\",\"volume\":\"228 1\",\"pages\":\"0\"},\"PeriodicalIF\":0.0000,\"publicationDate\":\"2023-01-01\",\"publicationTypes\":\"Journal Article\",\"fieldsOfStudy\":null,\"isOpenAccess\":false,\"openAccessPdf\":\"\",\"citationCount\":\"0\",\"resultStr\":null,\"platform\":\"Semanticscholar\",\"paperid\":null,\"PeriodicalName\":\"International Journal of Sociology and Humanities\",\"FirstCategoryId\":\"1085\",\"ListUrlMain\":\"https://doi.org/10.33545/26648679.2023.v5.i2a.54\",\"RegionNum\":0,\"RegionCategory\":null,\"ArticlePicture\":[],\"TitleCN\":null,\"AbstractTextCN\":null,\"PMCID\":null,\"EPubDate\":\"\",\"PubModel\":\"\",\"JCR\":\"\",\"JCRName\":\"\",\"Score\":null,\"Total\":0}","platform":"Semanticscholar","paperid":null,"PeriodicalName":"International Journal of Sociology and Humanities","FirstCategoryId":"1085","ListUrlMain":"https://doi.org/10.33545/26648679.2023.v5.i2a.54","RegionNum":0,"RegionCategory":null,"ArticlePicture":[],"TitleCN":null,"AbstractTextCN":null,"PMCID":null,"EPubDate":"","PubModel":"","JCR":"","JCRName":"","Score":null,"Total":0}
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की सामरिक रणनीति : क्वाड के विशेष संदर्भ में
हिंद महासागर और प्रशांत महासागर क्षेत्र के कुछ भागों को अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीति के अध्ययन विषय में संयुक्त रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र इकीसवीं सदी में भू-राजनीतिक क्षेत्र में विश्व की विभिन्न शक्तियों के मध्य कूटनीति एवं संघर्ष का मुख्य केंद्र बन गया है। इसका कारण यह है की हिंद महासागर और प्रशांत महासागर समुद्री मार्ग प्रदान करता है। दुनिया का अधिकांश व्यापारिक गतिविधियाँ इन दोनों महासागरों के माध्यम से होता है। भारत-प्रशांत क्षेत्र दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले और आर्थिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है जिसमें चार महाद्वीप शामिल हैं: एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की गतिशीलता और जीवन शक्ति स्वयं स्पष्ट है, दुनिया की 60% आबादी और वैश्विक आर्थिक उत्पादन का 2/3 भाग इस क्षेत्र को वैश्विक आर्थिक केंद्र बनाता है। यह क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक बड़ा स्रोत और गंतव्य भी है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र दुनिया की कई महत्त्वपूर्ण एवं बड़ी आपूर्ति शृंखलाओं संबंधित है। भारतीय और प्रशांत महासागरों में संयुक्त रूप से समुद्री संसाधनों का विशाल भंडार है, जिसमें अपतटीय हाइड्रोकार्बन, मीथेन हाइड्रेट्स, समुद्री खनिज और पृथ्वी की दुर्लभ धातु शामिल हैं। बड़े समुद्र तट और अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) इन संसाधनों के दोहन के लिये तटीय देशों को प्रतिस्पर्द्धी क्षमता प्रदान करते हैं। दुनिया की कई सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थित हैं, जिनमें भारत, यू.एस.ए, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। क्वाड को ‘स्वतंत्र, खुले और समृद्ध’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिये चार देशों के साझा उद्देश्य के रूप में पहचाना जाता है। क्वाड भारत, अमेरिका, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया की संयुक्त रूप से अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता है। 13वीं ईस्ट एशिया समिट के दौरान ही क्वाड सम्मेलन का भी आयेाजन किया गया था। यह क्वाड सम्मेलन मुख्यत: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अवसंरचनात्मक परियोजनाओं एवं समुद्री सुरक्षा योजनाओं पर केंद्रित था। यद्यपि समूह का घोषित लक्ष्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र की समृद्धि व खुलेपन से संबंधित है, किंतु इसका मुख्य लक्ष्य बेल्ट रोड पहल के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी दबदबे को नियंत्रित करना है।