Gopal Prasad, Jitendr Prajapati, Dr. Samrendr Bahadur Sharma
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Abstract
आज हम एक बार फिर आधुनिक शासन व्यवस्था में गाँधीवादी नैतिकता, अहिंसा एवं सत्याग्रह सिद्धांतों की प्रासंगिकता को अनुभव करने लगे है। आज की भ्रष्ट शासन व्यवस्था, मूल्यहीनता, गैर-जवाबदेही एवं अपारदर्शिता ने हमें हर तरह से निराश किया है। गाँधी चिंतन के अनुकरण से हम राष्ट्रीय जीवन में व्याप्त हिंसा, घृणा, अविश्वास और भ्रष्टाचार पर टिकी आधुनिक शासन व्यवस्था के विभिन्न दोषों को सरलता से दूर कर सकते है । शासन का संबंध एक देश के सभी स्तरों पर मामलों का प्रभावकारी प्रबंधन से है, यह क्षेत्रीय अखंडता, स्वतन्त्रता, सुशासन, सर्वांगीण विकास जनता की सुरक्षा और सम्पूर्ण जनकल्याण पर बल देता है और लोक में संवेदना का भाव संचार करता है। महात्मा गाँधी का उद्देश्य किसी नए दर्शन का विकास करना नहीं था। किन्तु ऐसा कोई पहलू नहीं जिसपर उन्होने विचार नहीं किया हो, चाहे वह राजनीतिक पहलू हो या सामाजिक, धार्मिक हो या आर्थिक, इत्यादि विषयों पर विचार मिलता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इनके सभी पहलुओं का आधार एक ही है वह है नैतिकता एवं अहिंसा। गाँधी जी के सत्याग्रह की खूबी यही है कि व्यक्ति को इसकी कहीं बाहर जाकर खोज नहीं करनी पड़ती वह उसके सामने स्वयं आ खड़ा होता है। स्वयं सत्याग्रह के सिद्धान्त में ही यह गुण अंतर्निहित है। आधुनिक शासन व्यवस्था में पूर्ण जवाबदेही, पारदर्शिता एवं सुशासन तभी संभव है जब हम गाँधी के नैतिकता, अहिंसा और सत्याग्रह सिद्धांतो को अंगीकार करें।
आधुनिक शासन में गाँधीवादी नैतिकता, अहिंसा एवं सत्याग्रह सिद्धांतों की प्रासंगिकता
आज हम एक बार फिर आधुनिक शासन व्यवस्था में गाँधीवादी नैतिकता, अहिंसा एवं सत्याग्र हसिद्धांतोंकी प्रासंगिकता को अनुभव करनेलगे है। आज की भ्रष्ट शासन व्यवस्था、मूल्यहीनता, गैर-जवाबदेही एवं अपारदर्शिता ने हमें हर तरह से निराश किया है। गाी चिंतन के अनुकरण से हम राष्ट्रीय जीवन मे वं्याप्त हिंसा、घृणा, अविश्वास और भ्रष्टाचार पर टिकी आधुनिक शासन व्यवस्था के विभिन्न दोषों को सरलता से दूर कर सकते है । शासन का संबंध एक देश के सभी स्तरों पर मामलों का प्रभावकारी प्रबंधन से है,यह क्ेत्रीय अखंडता, स्वतन्त्रता, सुशासन、सर्वांगीण विकास जनता की सुरक्षा और सम्पूर्ण जनकल्याण पर बल देता है और लोक में संवेदनाका भाव संचार करता है। मात्मागाँधीका उद्देश्य किसी नए दर्शन का विकास करना नहीं था। किन्तु ऐासकोई पहलू नहीं जिसपर उन्होने विचार नहीं किया हो、चाेह वह राजनीतिक पहलू हो या सामाजिक, धार्मिक हो या आर्थिक、इत्यादि विषयों पर विचार मिलता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इनके सभी पहलुओं का आधार एक ही है वह है नैतिकता एवं अहिंसा। गाँधी जी के सत्याग्रह की खूबी यही है कि व्यक्ति कोइसकीकहीं बार हजाकर खोज नहीं करनी पड़ती व ह ↪Lo_909सके सामने स्वयं आ खड़ा होता है। स्वयं सत्याग्र हके सिद्धान्ते ंहयह गुण अंतर्निहत है।निक शासन व्यवस्था में पूर्ण जवाबदेही、पारदर्शिताएवंसुशासनतभीसंभव है जब हम गाँधीके नैतिकता, अहिंसा और सत्याग्र हसिद्धांतो को अंगीकार करें।