{"title":"Women Empowerment","authors":"Yogeshkumar R. Parmar","doi":"10.53983/ijmds.cpi2023.01.003","DOIUrl":null,"url":null,"abstract":"Yatra naryastu pujyante ramante tatra devatah. \nYatraitastu na pujyante sarvastatrafalah kriya. Manusmriti 3/56. \nMeans \nWhere women are worshipped, deities reside there and where women are not worshipped, they are not respected, all the good deeds done there become fruitless. \nIn our Vedic period Indian society, women were worshiped as goddesses. That's why our unbroken India was known for intelligent women. Over time, this condition of women declined and by the time of medieval period, this decline reached its peak. Even after India's independence in 1947, today women are exploited and oppressed. Even after many efforts of the government, there was no significant change at the social level and the male dominated mentality remained the same. \nIn this exercise paper, along with the concept of women empowerment, the need for women empowerment, obstacles in women empowerment have been mentioned. The concrete efforts taken by the government for women empowerment in India and the rules and regulations have also been mentioned. \n \nAbstract in Hindi Language \nयत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः । \nयत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।। मनुस्मृति ३/५६ ।। \nअर्थात् \nजहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं। \nहमारे वैदिक कालिन भारतीय समाज में नारी को देवी मानकर उसकी पूजा होती थीं । तभी तो हमारा हमारा अखंड भारत विदुषी नारियों के लिए जाना जाता था। कालांतर में नारी की इस स्थिति में ह्रास हुआ और मध्यकाल आते-आते यह ह्रास अपने चरम पर जा पहुंचा। १९४७ में भारत की आजादी के बाद भी आज नारी शोषित और उत्पीडित है । सरकार के अनेक प्रयत्न के बाद भी सामाजिक स्तर पर कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आये और पुरुष प्रधान मानसिकता वैसी की वैसी ही रहीं । \nइस अभ्यास पेपर में अभ्यासकने नारी सशक्तिकरण की विभावना के साथ – साथ महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता, महिला सशक्तिकरण में आने वाली बाधाओं का जिक्र किया है । भारत में महिला सशक्तिकरण के लिये सरकार द्वारा उठाये गये ठोस प्रयत्न एवं कायदे – कानून का भी जिक्र किया गया है । \n Keywords: महिला सशक्तिकरण, विश्वास, धर्म और पूजा की स्वतंत्रता","PeriodicalId":424872,"journal":{"name":"International Journal of Management and Development Studies","volume":"40 1","pages":"0"},"PeriodicalIF":0.0000,"publicationDate":"2023-05-29","publicationTypes":"Journal Article","fieldsOfStudy":null,"isOpenAccess":false,"openAccessPdf":"","citationCount":"0","resultStr":null,"platform":"Semanticscholar","paperid":null,"PeriodicalName":"International Journal of Management and Development Studies","FirstCategoryId":"1085","ListUrlMain":"https://doi.org/10.53983/ijmds.cpi2023.01.003","RegionNum":0,"RegionCategory":null,"ArticlePicture":[],"TitleCN":null,"AbstractTextCN":null,"PMCID":null,"EPubDate":"","PubModel":"","JCR":"","JCRName":"","Score":null,"Total":0}
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Abstract
Yatra naryastu pujyante ramante tatra devatah.
Yatraitastu na pujyante sarvastatrafalah kriya. Manusmriti 3/56.
Means
Where women are worshipped, deities reside there and where women are not worshipped, they are not respected, all the good deeds done there become fruitless.
In our Vedic period Indian society, women were worshiped as goddesses. That's why our unbroken India was known for intelligent women. Over time, this condition of women declined and by the time of medieval period, this decline reached its peak. Even after India's independence in 1947, today women are exploited and oppressed. Even after many efforts of the government, there was no significant change at the social level and the male dominated mentality remained the same.
In this exercise paper, along with the concept of women empowerment, the need for women empowerment, obstacles in women empowerment have been mentioned. The concrete efforts taken by the government for women empowerment in India and the rules and regulations have also been mentioned.
Abstract in Hindi Language
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।। मनुस्मृति ३/५६ ।।
अर्थात्
जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
हमारे वैदिक कालिन भारतीय समाज में नारी को देवी मानकर उसकी पूजा होती थीं । तभी तो हमारा हमारा अखंड भारत विदुषी नारियों के लिए जाना जाता था। कालांतर में नारी की इस स्थिति में ह्रास हुआ और मध्यकाल आते-आते यह ह्रास अपने चरम पर जा पहुंचा। १९४७ में भारत की आजादी के बाद भी आज नारी शोषित और उत्पीडित है । सरकार के अनेक प्रयत्न के बाद भी सामाजिक स्तर पर कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आये और पुरुष प्रधान मानसिकता वैसी की वैसी ही रहीं ।
इस अभ्यास पेपर में अभ्यासकने नारी सशक्तिकरण की विभावना के साथ – साथ महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता, महिला सशक्तिकरण में आने वाली बाधाओं का जिक्र किया है । भारत में महिला सशक्तिकरण के लिये सरकार द्वारा उठाये गये ठोस प्रयत्न एवं कायदे – कानून का भी जिक्र किया गया है ।
Keywords: महिला सशक्तिकरण, विश्वास, धर्म और पूजा की स्वतंत्रता